हमारे बारे में
मिशन
उद्योगों/संगठनों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु इंजीनियरी प्रौद्योगिकी में नए उत्तीर्ण स्नातकों और डिप्लोमा धारकों को सुविधा प्रदान करना तथा उन्हें और अधिक रोजगारपरक बनाना।
दृष्टि
शिक्षुओं को गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योगों/संगठनों में उपलब्ध प्रशिक्षण सुविधाओं का अधिकतम उपयोग करके राष्ट्र के लिए कुशल तकनीकी जनशक्ति का सृजन करना।
बीओपीटी का गठन
लगभग पांच दशकों पहले किए गए वैज्ञानिक जनशक्ति समिति की सिफारिशों के अनुपालन में, भारत सरकार के तात्कालिक शिक्षा मंत्रालय ने नए उत्तीर्ण इंजीनियरिंग स्नातक और डिप्लोमा धारकों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से 'प्रैक्टिकल ट्रेनिंग स्टाईपेंडरी स्कीम' की शुरूआत की थी। इस योजना को सीधे शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा प्रशासित किया गया था, शुरुआत में इस योजना के अंतर्गत, स्वैच्छिक आधार पर भाग लेने वाले उद्योग / प्रतिष्ठान से अनुरोध किया गया था कि वे समान रूप से शिक्षुओं को देय अनुदान की लागत साझा करें। चूंकि इस योजना में उद्योग / स्थापनाओं की प्रतिक्रिया काफी उत्साहजनक थी और जरूरतमंद उम्मीदवारों की ओर से प्रशिक्षण की मांग समान रूप से बढ़ रही थी, इस योजना को इसके चार क्षेत्रीय कार्यालयों के प्रशासन हेतु विकेन्द्रीकृत किया गया। चूंकि प्रशिक्षण की मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई अत: भारत सरकार ने वर्ष 1968 में स्वायत्त निकाय के रूप में औद्योगिक संघों और संगठनों, राज्य सरकार तथा अन्य व्यावसायिक निकाय के प्रतिनिधियों सहित कोलकाता, चेन्नई, कानपुर और मुंबई में चार क्षेत्रीय बोर्डों की स्थापना की गयी| इस प्रकार योजना के प्रशासन को शिक्षु अधिनियम 1961 यथासंशोधित 1973 के प्रावधानों के अंतर्गत उत्तीर्ण इंजीनियरिंग स्नातक / तकनीशियन शिक्षुओं को शिक्षुता प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु स्वतंत्र रूप से कार्य करने देने के उद्देश्य के साथ इन बोर्डों के साथ निहित किया गया था| 10+2 के व्यावसायिक / जूनियर कॉलेज / इंटरमीडिएट पास आउट छात्रों को शिक्षु अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत लाने के लिए वर्ष 1986 में अधिनियम को पुन: संशोधित किया गया|
ये चार क्षेत्रीय बोर्ड अधिकृत एजेंसियां हैं जो अपने संबंधित क्षेत्रों में शिक्षुता प्रशिक्षण की राष्ट्रीय योजना को लागू करने के लिए हैं ।
एक संगठित प्रभावी तरीके से नए इंजीनियरिंग स्नातकों और इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारकों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय, सरकार भारत द्वारा 1968 में स्वायत्त संगठनों के रूप में व्यावहारिक प्रशिक्षण (व्या.प्र.बो.) / शिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड (शि.प्र.बो.) के चार क्षेत्रीय बोर्ड स्थापित किए गए थे। । बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता, चेन्नई, कानपुर और मुंबई में स्थित हैं। क्षेत्रीय बोर्ड स्थापित करने के बाद पीटीएस योजना को चार क्षेत्रीय बोर्डो में स्थानांतरित कर दिया गया था जिसमें योजना के प्रशासन में प्रत्यक्ष उत्तरदायित्व और स्वायत्तता को सौंपा गया था ।
उद्देश्य
- किसी भी अंतर को पूरा करने / समरूपता लाने के लिए, जहां तक नए उत्तीर्ण स्नातक इंजीनियरों, डिप्लोमा धारकों और +2 व्यावसायिक उत्तीर्ण विद्यार्थियों के के अनुभव पर व्यावहारिक / हस्थ अनुभव का संबंध है, जिसे सामान्य वातावरण के अंतर्गत विद्यार्थी अपने नियमित अध्ययन के दौरान प्राप्त नहीं कर पाते हैं ।
- तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और उद्योगों के लिए मानव संसाधन विकसित करने के लिए उद्योगों और तकनीकी संस्थानों के बीच संपर्क स्थापित करना ।
- तकनीकी संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए दोनों निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के विभिन्न स्थापनाओं में प्रशिक्षण हेतु सुविधाओं को संरक्षित करना ।
- जो प्रशिक्षण लेना चाहते हैं ऐसे आवेदकों के बीच नियोजन हेतु चयन करने के लिए|
- शिक्षओं, उद्योगों और अन्य संबंधित एजेंसियों से परामर्श कर उनके लिए प्रशिक्षण संबंधी कार्यक्रम तैयार करना ।
- व्याख्यान, फिल्मों और संचार के अन्य माध्यमों द्वारा व्यावहारिक प्रशिक्षण के विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्रसारित करने की व्यवस्था करना ।
- प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा कर चुके उचित उम्मीदवारों को प्रमाणपत्र जारी करने के लिए ।
- योग्य युवाओं के आत्मविश्वास के स्तर को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी दक्षता को बढ़ाने के लिए ।
पूर्वी क्षेत्रीय बोर्ड - कोलकाता का अधिकार क्षेत्र:
राज्य: ओडिशा, असम, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम,नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, सिक्किम ।
संघ शासित प्रदेश:अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ।