शिक्षुता
नोट: इस शीर्षक के अधीन प्रदान की गई जानकारी हितधारकों के आसान रूप में समझने के लिए है। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार की सावधानी बरती गयी है कि यहां सामग्री 2014 में संशोधित शिक्षु अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार है, हालांकि, किसी भी प्रकार के विवाद के मामले में उल्लिखित अधिनियम के ही प्रावधान को माना जाएगा|
विवरण
राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) का कार्यान्वयन मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शिक्षु अधिनियम 1961 के उपबंधों के अंतर्गत किया जाता है। एन.ए.टी.एस. अपने कार्य क्षेत्र में अपेक्षित व्यवहारिक ज्ञान और कौशल में सुधार करके उन्हें और अधिक रोजगारपरक बनाने के लिए इंजीनियरी और डिप्लोमा में डिग्री के नए उत्तीर्ण छात्रों के लिए रोजगार प्रशिक्षण (ओजीटी) स्कीम के अंतर्गत एक वर्ष का भुगतान किया जाता है। शिक्षुओं को प्रतिष्ठित केंद्र सरकार, राज्य सरकार और उत्कृष्ट प्रशिक्षण सुविधाओं वाले निजी संगठनों में शिक्षुता प्रशिक्षण से गुजरना का अवसर मिलता है। इस रोजगार प्रशिक्षण (ओजीटी) के प्रशिक्षुओं को शिक्षु कहा जाता है। प्रशिक्षण स्थापनाएं अपने-अपने कारखाने अथवा कार्यस्थल में शिक्षुओं को रोजगार प्रशिक्षण (ओजीटी) प्रदान करते हैं। अनुमोदित प्रशिक्षण मॉड्यूलों के साथ प्रशिक्षक/पर्यवेक्षक यह सुनिश्चित करते हैं कि शिक्षु कार्य को अधिक प्रभावी ढंग से सीखें। शिक्षुता प्रशिक्षण की अवधि के दौरान शिक्षुओं को वजीफा दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा न्यूनतम वृत्तिका की दर निर्धारित करती है, तथापि, स्थापनाएं न्यूनतम निर्धारित दरों से अधिक वृत्तिका देने के लिए स्वतंत्र हैं। भारत सरकार ने सभी शिक्षुओं जिनके अनुबंध इस बोर्ड में पंजीकृत हैं, के लिए तिमाही आधार पर स्थापना को वृत्तिका की न्यूनतम निर्धारित दर का 50% भाग को प्रतिपूर्ति के रूप में प्रदान करता है। प्रशिक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने पर भारत सरकार द्वारा शिक्षुओं को प्रवीणता प्रमाणपत्र जारी किया जाता है जिसे एक वर्ष के अनुभव के समकक्ष माना जाता है।
- नीचे उल्लिखित उत्तीर्ण उम्मीदवार
- इंजीनियरिंग / टेक्नोलॉजी में स्नातक
- इंजीनियरिंग / टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा
- तकनीकी संस्थान: राज्यों की सूची
- अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- बिहार
- झारखंड
- मणिपुर
- मेघालय
- मिजोरम
- नागालैंड
- ओडिशा
- सिक्किम
- त्रिपुरा
- पश्चिम बंगाल
- उद्योग / स्थापना: क्षेत्र
- केंद्र सरकार स्थापना
- राज्य सरकार स्थापना
- निजी स्थापना
- सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम
- वर्गीकरण:
- विनिर्माण उदयोग
- ऑटोमोबाइल इंडस्ट्रीज
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
- दूध उत्पादन उद्योग
- बहुराष्ट्रीय कंपनियां
- सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज
- फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज
- संचार उद्योग
- सेवा क्षेत्र
- होटल इंडस्ट्रीज
- अस्पताल
- घरेलू उपकरण उद्योग आदि
पूर्वी क्षेत्र: कोलकाता | दक्षिणी क्षेत्र: चेन्नई | उत्तरी क्षेत्र: कानपुर | पश्चिमी क्षेत्र: मुंबई |
---|---|---|---|
नागालैंड | तमिलनाडु | दिल्ली | छत्तीसगढ़ |
सिक्किम | तेलंगाना | हरियाणा | महाराष्ट्र |
ओड़िशा | आंध्र प्रदेश | हिमाचल प्रदेश | मध्य प्रदेश |
मिजोरम | कर्नाटक | उत्तर प्रदेश | गुजरात |
मणिपुर | केरल | जम्मू और कश्मीर | गोवा |
झारखंड | पुडुचेरी | पंजाब | दमन दीव और दादरा नगर हवेली |
बिहार | लक्षद्वीप | राजस्थान | |
असम | उत्तराखंड | ||
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह | चंडीगढ़ | ||
अरुणाचल प्रदेश | |||
मेघालय | |||
त्रिपुरा | |||
पश्चिम बंगाल | |||
संपर्क विवरण: Director & Regional Central Apprenticeship Adviser |
संपर्क विवरण: Director & Regional Central Apprenticeship Adviser |
संपर्क विवरण: Director & Regional Central Apprenticeship Adviser |
संपर्क विवरण: Director & Regional Central Apprenticeship Adviser |
न्यूनतम शिक्षा योग्यता:
1.1.स्नातक शिक्शु के लिए
- एक वैधानिक विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में डिग्री।
- किसी संस्थान के द्वारा स्वीकृत इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में डिग्री, संसद के किसी अधिनियम द्वारा ऐसी डिग्री प्रदान करने के लिए अधिकारित हो।
- केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त व्यवसायिक निकायों की स्नातक परीक्षा जो डिग्री के समतुल्य है।
- एक सैंडविच कोर्स छात्र जो प्रशिक्षण कर रहा है ताकि वह उपरोक्त (ए) और (बी) में उल्लिखित इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में डिग्री प्राप्त कर सके।
1.2.तकनीशियन शिक्षु
- किसी राज्य सरकार द्वारा स्थापित राज्य परिषद या तकनीकी शिक्षा बोर्ड द्वारा स्वीकृत इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा।
- किसी विश्वविद्यालय द्वारा इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में एक डिप्लोमा।
- उपरोक्त (क) तथा (ख) में उल्लिखित राज्य या केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से स्वीकृत इंजीनियरिंग या प्रोद्योगिकी में डिप्लोमा|
- सैंडविच कोर्स छात्र जो एक ऐसी प्रकिया में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है जिसमें वह ऊपर (क), (ख), (ग) में उल्लिखित डिप्लोमा प्राप्त कर सके।
नोट: - उपरोक्त संदर्भित इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में डिग्री / डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले संस्थान / विश्वविद्यालय / बोर्ड जिनको केंद्रीय / राज्य सरकार या उसके अधिकारित निकायों द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए ।
शिक्षुता प्रशिक्षण के लिए योग्यता की शर्तें:
एक व्यक्ति स्नातक / तकनीशियन के रूप में नियुक्त होने के योग्य तभी होगा जब वह अनुच्छेद सं. 1 में परिभाषित न्यूनतम शैक्षिक योग्यता में से एक को धारित करेगा है, बशर्ते कि:
- उम्मीदवारों को www.mhrdnats.gov.in पर ऑन-लाइन नामांकन के माध्यम से इस बोर्ड में नामांकन / पंजीकृत होना होगा और योग्यता संबंधी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद तीन साल की निर्दिष्ट अवधि के भीतर सफल नामांकन के बाद उत्पन्न एक वैध नामांकन आईडी होनी चाहिए।
- न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के अंतर्गत अनुच्छेद सं. (1.1), (1.2) में उल्लिखित इन योग्यताओं में से किसी एक को प्राप्त करने के पश्चात एक अथवा उससे अधिक की अवधि हेतु प्रशिक्षण या कार्य अनुभव वाले इंजीनियरिंग स्नातक या डिप्लोमाधारक को अधिनियम के अंतर्गत शिक्षु के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता|
- कोई भी सैंडविच कोर्स छात्र तकनीकी संस्थान की अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अधिनियम के अंतर्गत शिक्षु के रूप में नियुक्त होने के योग्य नहीं होगा, जब तक कि विद्यार्थी द्वारा अध्ययन किया जा रहा पाठ्यक्रम क्षेत्रीय केंद्रीय अपरेंटिसशिप सलाहकार द्वारा अनुमोदित न हो।
- एक व्यक्ति जो अधिनियम के अंतर्गत स्नातक या तकनीशियन शिक्षु रहा है और जिसके मामले में शिक्षुता अनुबंध किसी भी कारण से पंजीकृत और / या समाप्त कर दिया गया हो, अधिनियम के अंतर्गत बिना शिक्षुता सलाहकार के पूर्व स्वीकृति के वह एक शिक्षु के रूप में पुन: नियुक्त होने के योग्य नहीं होगा।
अधिसूचित नियोक्ताओं द्वारा शिक्षुओं का चयन
अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, अधिसूचना के अनुसार शिक्षुओं के चयन का उत्तरदायित्व नियोक्ताओं का है। उन उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा जो अधिनियम के अंतर्गत शिक्षुता प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु न्यूनतम मानक शैक्षिक योग्यता और मेडिकल फिटनेस को पूरा करेंगे।
नामांकित स्थापना सर्वप्रथम अपने डैश बोर्ड पर उपलब्ध पैनल बनाने की प्रक्रिया के माध्यम एनएटीएस पोर्टल (www.mhrdnats.gov.in) पर नामांकित उम्मीदवारों की सूची से चयन करना चाहिए। शिक्षुओं के चयन के लिए पैनल बनाने की प्रक्रिया www.mhrdnats.gov.in पर अपने आधिकारिक लॉग-इन पहचान का उपयोग कर किया जा सकता है।
किसी भी कारण से शिक्षु अनुबंध का समय से पूर्व समाप्त होने के कारण समय-समय पर होने वाली रिक्तियों को राष्ट्रीय वेब पोर्टल के माध्यम से पैनल बनाकर पूर्ण किया जा सकता है|
शिक्षुओं के रूप में नुयुकित के लिए चयन करते समय नियोक्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रीय वेब पोर्टल में नामांकित छात्रों का किसी अन्य स्रोत के माध्यम से प्राप्त आवेदनों पर भी विचार किया जा सकता है|
हालांकि, नियोक्ता शिक्षुओं के चयन के लिए समय-समय पर बीओपीटी-ईआर द्वारा आयोजित केंद्रीय चयन / नौकरी मेला में भाग ले सकते हैं।
एक व्यक्ति किसी भी नामित / वैकल्पिक व्यवसाय में शिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए एक शिक्षु के रूप में नियुक्त होने हेतु योग्य नहीं होगा, जब तक कि वह /
- 14 साल से अधिक नहीं है
- अधिनियम के तहत निर्धारित शैक्षिक योग्यता और शारीरिक फिटनेस के ऐसे मानकों को पूर्ण करता है|
विषय क्षेत्र / इंजीनियरिंग के विषयः
अधिनियम के अंतर्गत शिक्षुता प्रशिक्षण की सुविधा सरकार की केंद्रीय शिक्षुता परिषद, भारत सरकार द्वारा अनुमोदित विषय क्षेत्र में उपलब्ध है।
- इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में विषय क्षेत्रों की सूची
- सैंडविच पाठ्यक्रम - कुछ तकनीकी संस्थान डिग्री और डिप्लोमा इंजीनियरिंग छात्रों के लिए सैंडविच पाठ्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। सभी स्थापनाओं को तकनीकी संस्थानों या इस बोर्ड द्वारा सूचित किए जाने पर एक विशिष्ट अवधि में प्रशिक्षण के लिए इन सैंडविच पाठ्यक्रमों के छात्रों को नियुक्त करना आवश्यक होता है| तकनीकी संस्थान सैंडविच कोर्स के तहत प्रशिक्षण हेतु इच्छुक प्रत्येक उम्मीदवार के लिए ऑनलाइन के माध्यम से आवश्यक मांग करेंगे। इस प्रकार के शिक्षु की नियुक्ति के बाद स्थापना एक ही प्रारूप में अधिनियम के अंतर्गत शिक्षुता अनुबंध करेंगे और पंजीकरण के लिए बोर्ड को जमा करेंगे। शिक्षुता अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले प्रशिक्षण स्थापनाओं को कॉलेज द्वारा जारी एक कॉलेज बोनफाइड प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा जिसमें प्रत्येक प्रशिक्षुओं से ऐसे प्रशिक्षण की आवश्यकता का उल्लेख होगा| नियुक्ति की अगली प्रक्रिया, अन्य शिक्षुओं के समरूप ऑनलाइन / ऑफ़लाइन शिक्षुता अनुबंध तैयार करना पोर्टल के स्थापनाओं की भूमिका के अधीन उपलब्ध है।
चयन की प्रक्रिया
मानदंडों के अनुसार नियोक्ता शिक्षुओं का चयन करते हैं। स्थापना अपने यूजर आईडी और पासवर्ड (ऑनलाइन छात्रों के पैनल का निर्माण) के माध्यम से नेशनल वेब पोर्टल (www.mhrdnats.gov.in) के यूजर डेटा बेस से सीधे सूची तैयार कर चयन प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा वे निम्नलिखित स्रोतों से प्राप्त सूची पर भी विचार कर सकते हैं-
- प्रेस विज्ञापन के माध्यम से
- संबंधित राज्य के आसपास के क्षेत्रों में स्थित तकनीकी संस्थानों / डीटीई के इच्छुक उम्मीदवारों की सूची मांगना।
- आंतरिक विभागों में जारी होने वाले नोटिस या तकनीकी शिक्षा निदेशालय के माध्यम से सीधे आवेदन की मांग।
- जॉब मेला / केंद्रीय चयन में भाग लेने के लिए बीओपीटी को ऑनलाइन अनुरोध भेजना।
अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों अभ्यर्थियों के लिए प्रशिक्षण स्थानों का आरक्षण:
1)अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के प्रशिक्षण स्थानों का आरक्षण नीचे दिए गए अनुपात के अनुसार किया जाना चाहिए
क्र.सं. | राज्यों के नाम | कुल शिक्षुओं में से अनुसूचित जाति के शिक्षुओं का अनुपात | कुल शिक्षुओं में से अनुसूचित जन जाति के शिक्षुओं का अनुपात |
---|---|---|---|
1 | असम | 1:15 | 1:9 |
2 | बिहार | 1:7 | 1:100 |
3 | मणिपुर | 1:33 | 1:3 |
4 | मेघालय | ------ | 1:2 |
5 | नागालैंड | ------ | 1:2 |
6 | ओडिशा | 1:7 | 1:4 |
7 | त्रिपुरा | 1:6 | 1:3 |
8 | पश्चिम बंगाल | 1:5 | 1:20 |
9 | अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह | ------ | 1:13 |
10 | अरुणाचल प्रदेश | ------ | 1:2 |
11 | मिजोरम | ------ | 1:2 |
12 | झारखंड | 1:9 | 1:4 |
13 | सिक्किम | 1:20 | 1:5 |
जब किसी भी अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों का निर्धारित संख्या डेटाबेस में उपलब्ध नहीं होगा, तब उनके लिए आरक्षित प्रशिक्षण स्थान अनुसूचित जनजातियों या, जैसी परिस्थित हो, अनुसूचित जाति के व्यक्तियों द्वारा भरी जा सकती है और यदि निर्धारित प्रशिक्षण स्थान उपरोक्त किसी भी स्थिति में नहीं भरे जा सके, तो ऐसे रिक्त प्रशिक्षण स्थानों को अनारक्षित व्यक्तियों द्वारा भरा जा सकता है|
2)नामित व्यवसायों में अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए प्रशिक्षण स्थान नियोक्ता द्वारा संबंधित राज्य या संघ शासित प्रदेश में निर्धारित मानदंडों के अनुसार आरक्षित किया जाएगा और यदि प्रशिक्षण स्थान अन्य पिछड़ा वर्गों के उम्मीदवारों से नहीं भरे जा सके, तो ऐसे रिक्त प्रशिक्षण स्थानों को अनारक्षित व्यक्तियों द्वारा भरा जा सकता है|
शिक्षुओं की नियुक्ति
शिक्षु अधिनियम, 1961 यथासंशोधित 1973, 1986 और 2014 के प्रावधानों के अनुसार, स्नातक / इंजीनियरिंग / प्रौद्योगिकी में डिग्री / डिप्लोमा धारकों तथा व्यावसायिक प्रमाणपत्र धारकों को उनके निर्धारित व्यवसाय में क्रमश: स्नातक / तकनीशियन / तकनीशियन (व्यवसायिक) शिक्षुओं के रूप में निर्धारित संख्या को नियुक्त करना प्रत्येक नियोक्ता (राज्य और केन्द्रीय सरकारी विभाग / उपक्रमों / स्वायत्त संगठन और निजी संगठन) का वैधानिक दायित्व है। नियोक्ता द्वारा नियुक्त किए जाने वाले ऐसे शिक्षुओं की संख्या बीओपीटी-ईआर, कोलकाता द्वारा निर्धारित की जाएगी।
शिशुता अनुबंध फॉर्म (एसीआरएफ) और एसीआरएफ का पंजीकरण
1)शिक्षुता अनुबंध को जमा / अपलोड करना
राष्ट्रीय वेब पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन सृजित शिक्षुता अनुबंध (प्र.3 एव.प्र.4) को विधिवत भरकर तथा नियोक्ता/शिक्षु (नाबालिक होने की स्थिति में अभिभावक) और जमानतकर्त्ता द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर हस्ताक्षर एवं मुहर लगाकर व्या.प्र.बो. (पू.क्षे.), कोलकता के साथ पंजीकरण हेतु किए गए अनुबंध के हस्ताक्षरित तिथि से एक निर्धारित समय के भीतर बोर्ड को प्रत्येक वर्ष शिक्शु अधिनियम, 1961 यथा संशोधित 1973, 1986 एवं 2014 के अनुपालन में नियोक्ता द्वारा ऑनलाइन (www.mhrdnats.gov.in) के माध्यम से जमा/अपलोड किया जा सकता है| शिक्षुता अनुबंध के पंजीकरण से पूर्व व्या.प्र.बो. (पू.क्षे.), कोलकता शिक्षुता अनुबंध फॉर्म में शिक्षु और नियोक्ता द्वारा प्रदान किए गए विवरणों को पुष्टि करेगा| अधिनियम के अंतर्गत उल्लिखित प्रावधानों को पूर्ण करने की स्थिति में, शिक्षुता अनुबंध को व्या.प्र.बो. (पू.क्षे.), कोलकता द्वारा पंजीकरण हेतु विचार किया जाएगा| पंजीकरण के बाद, प्रत्येक शिक्षुओं को एक पंजीकरण संख्या आवंटित की जाएगी| न्यूनतम निर्धारित दर पर केन्द्रीय सरकार के 50% हिस्से के लिए दावा बिल जमा करने से लेकर निर्दिष्ट शिक्षु के सन्दर्भ में भविष्य में सभी प्रकार के संचार हेतु नियोक्ता द्वारा पंजीकरण संख्या को उल्लिखित किया जा सकता है| हांलाकि, क्षेत्रीय केन्द्रीय शिक्षुता सलाहकार या उनके द्वारा नामित व्यक्ति, शिक्षुता अनुबंध तबतक नहीं करेंगे जबतक कि वह संतुष्ट न हो जाएं कि अनुबंध में शिक्षु के रूप में वर्णित व्यक्ति ही शिक्षु के रूप में अधिनियम के अंतर्गत नियुक्त किए जाने हेतु योग्य है| भविष्य में जहां भी शिक्षु की आवश्यकता होगी, वंहा एक घोषणा (एफ.8) प्रदान किया जाए कि वह एक वर्ष या उससे अधिक की अवधी के लिए कोई प्रशिक्षण/नौकरी नहीं किया है तथा अतीत में अधिनियम के अंतर्गत किसी एनी नियोक्ता के साथ शिक्षुता संबंधी किसी भी अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किया है|
2)शिक्षुता अनुबंध की शर्तें
नियोक्ता के लिए अपनी स्थापना में शिक्षुता प्रशिक्षण की अवधि पूरी होने पर प्रशिक्षु को कोई रोजगार प्रदान करना अनिवार्य नहीं होगा और न ही नियोक्ता के अधीन शिक्षु हेतु रोजगार स्वीकार करना अनिवार्य होना चाहिए।
नोट: हालांकि, शिक्षुता अनुबंध में एक शर्त है कि शिक्षुओं को नियोक्ता को प्रदान किए गए प्रशिक्षण सेवाओं के सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर, केंद्रीय शिक्षुता सलाहकार के अनुमोदन की स्तिथि में ही, संबंधित प्रशिक्षण पूर्ण होने पर शिक्षु को उपयुक्त रोजगार प्रदान कर सकते हैं और शिक्षुओं को भी उस अवधि तक उसी परिस्थिति में अनुबंध में निर्दिष्ट उसी पारिश्रमिकी पर नियोक्ता को सेवा प्रदान कर सकते हैं|
प्रशिक्षण और मूल्यांकन के दौरान कौशल विकास
नियोक्ता प्रत्येक तिमाही के लिए प्रतिष्ठान में लगे स्नातक / तकनीशियन प्रशिक्षुओं द्वारा किए गए कार्यों के रिकॉर्ड और रखरखाव के रखरखाव को सुनिश्चित करेगा।
प्रशिक्षु अपने शिक्षुता प्रशिक्षण की अवधि के दौरान किए गए कार्यों का रिकॉर्ड भी तैयार करेगा|
प्रत्येक नियोक्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि समय-समय पर तैयार की गईं केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरूप क्षेत्रीय केंद्रीय शिक्षुता सलाहकार द्वारा अनुमोदित कार्यक्रम के अनुसार शिक्षुओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। नियोक्ता यह भी सुनिश्चित करेंगे कि प्रशिक्षण की अवधि के दौरान प्रत्येक तिमाही में शिक्षुओं में आवश्यक कौशल विकास होता है।
प्रत्येक नियोक्ता यह सुनिश्चित करेगें कि कौशल विकास का मूल्यांकन केंद्र सरकार द्वारा आवंटित आवृत्ति के अनुसार किया जाता हो| मूल्यांकन के लिए मॉडल क्षेत्रीय केंद्रीय शिक्षुता सलाहकार द्वारा प्रदान किया जाता है। प्रत्येक मूल्यांकन के बाद प्रत्येक प्रशिक्षु के संबंध में प्रगति के आकलन का रिकॉर्ड प्रत्येक नियोक्ता द्वारा एनएटीएस पोर्टल पर ऑनलाइन भेजा / अपलोड किया जाना है। इस संबंध में परिवर्तन और संशोधन को सभी हितधारकों की जानकारी के लिए वेबसाइट (www.bopter.gov.in) पर समय-समय पर दिया जाएगा|
- प्रशिक्षण की अवधि:
- इंजीनियरिंग स्नातकों और डिप्लोमा धारकों के मामले में शिक्षुता प्रशिक्षण की अवधि एक वर्ष होगी ।
- सैंडविच कोर्स के छात्रों के मामले में, अध्ययन के दौरान अपने पाठ्यक्रम के रूप में प्राप्त किए गए व्यावहारिक प्रशिक्षण की अवधि ही शिक्षु प्रशिक्षण की अवधि होगी ।
कर्मचारियों के दायित्व:
इस अधिनियम के अन्य प्रावधानों में निहित किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह के बिना प्रत्येक नियोक्ता के पास शिक्षु के संबंध में निम्नलिखित दायित्व होगा, यथा:
- इस अधिनियम के प्रावधानों और इसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अनुसार शिक्षुओं को उनके विषय में प्रशिक्षण प्रदान करना:
- यदि नियोक्ता स्वयं को विषय में योग्य नहीं समझता है, तो यह सुनिश्चित करे कि निर्धारित योग्यता रखने वाले व्यक्ति को शिक्षु के प्रशिक्षण हेतु प्रभारी बनाया जाए और
- शिक्षुता अनुबंध में अपने दायित्वों को पूरा करना ;
- शिक्षु अनुबंध के अंतर्गत अपने दायित्वों को पूरा करना जिसमें निर्धारित किए गए कार्यों के रिकॉर्ड शामिल हों।
शिक्षुओं के दायित्व:
प्रशिक्षु प्रशिक्षण से गुजरने वाले हर स्नातक और तकनीशियन प्रशिक्षु के पास निम्नलिखित दायित्व होंगे, अर्थात्:
- प्रशिक्षण के अपने स्थान पर ईमानदारी से और परिश्रम से इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में अपना विषय क्षेत्र सीखना;
- नियमित रूप से व्यावहारिक और निर्देशक कक्षाओं में भाग लेने के लिए;
- स्थापना में अपने नियोक्ता और वरिष्ठ अधिकारियों के सभी वैध आदेशों को पूरा करने के लिए;
- प्रशिक्षु के अनुबंध के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए जिसमें निर्धारित किए गए कार्यों के ऐसे रिकॉर्ड रखरखाव शामिल होंगे।
प्रशंसा के लिए भुगतान:
नियोक्ता शिक्षुता प्रशिक्षण की अवधि के दौरान प्रत्येक प्रशिक्षु को भुगतान करेगा, जो निर्धारित न्यूनतम, दर, या नियोक्ता द्वारा 1 जनवरी, 1970 को नियत की श्रेणी के लिए भुगतान की जा रही दर से कम दर पर निर्भर करता है अपरेंटिस गिरता है, जो भी अधिक हो, जैसा कि शिक्षुता के अनुबंध में निर्दिष्ट किया जा सकता है और निर्दिष्ट विनिर्देशों को इस तरह के अंतराल पर भुगतान किया जाएगा और निर्धारित शर्तों के अधीन किया जाएगा ।
स्नातक तकनीशियन अपरेंटिस को देय स्टिपेंड की न्यूनतम दरें निम्नानुसार हैं: (w.e.f. w.e.f. 1st April, 2021)
Category | Prescribed minimum amount of Stipend | |
---|---|---|
Old Rate (w.e.f 23.12.2014) | Revised Rate (w.e.f 01.04.2021) | |
Graduates Apprentices or Degree Apprentices or Degree in any Stream | Rs. 4984/- P.M | Rs. 9000/- P.M |
Graduate Sandwich Apprentices(Sandwich course students from Degree institutes | Rs. 3542/- P.M | Rs. 8000/- P. M |
Technician Apprentices or Diploma holder in any stream | Rs. 3542/- P.M | Rs. 8000/- P.M |
Technician Sandwich Apprentices (Sandwich course students from Diploma institute) | Rs. 2890/- P.M | Rs. 7000/- P.M |
- प्रशिक्षण के अपने स्थान पर ईमानदारी से और परिश्रम से इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी में अपना विषय क्षेत्र सीखना;
- नियमित रूप से व्यावहारिक और निर्देशक कक्षाओं में भाग लेने के लिए;
- स्थापना में अपने नियोक्ता और वरिष्ठ अधिकारियों के सभी वैध आदेशों को पूरा करने के लिए;
- प्रशिक्षु के अनुबंध के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए जिसमें निर्धारित किए गए कार्यों के ऐसे रिकॉर्ड रखरखाव शामिल होंगे।
प्रतिपूर्ति के लिए दावा करने की प्रक्रिया
दावे को त्रैमासिक आधार पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए यानी अधिनियम के तहत लगे शिक्षकों को पहले उदाहरण में नियोक्ताओं द्वारा पूर्ण राशि का भुगतान करना होगा और बाद में तिमाही आधार पर दावा उठाया जाएगा। क्वार्टर निम्नानुसार होना चाहिए:
अप्रैल से जून | 1 तिमाही |
जुलाई से सितंबर | 2 तिमाही |
अक्टूबर से दिसंबर | 3 तिमाही |
जनवरी से मार्च | 4 तिमाही |
- दावों को ऑनलाइन उत्पन्न किया जाना चाहिए और संबंधित अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जेनरेट बिल की मुद्रित प्रतियों पर हस्ताक्षर और मुहर लगाने के बाद डाक द्वारा बीओपीटी-ईआर को भेजा जाना है।
- अन्य आवश्यक जानकारी के साथ, दावे में प्रत्येक प्रशिक्षु की अपरेंटिसशिप के अनुबंध की पंजीकरण संख्या होनी चाहिए जिसके लिए प्रतिपूर्ति का दावा किया गया है। ऑनलाइन उत्पन्न किए गए दावों को नियोक्ता के हस्ताक्षर (कार्यालय मुहर के साथ) और अग्रेषण पत्र के कवर के तहत इस कार्यालय में भेजा जाना चाहिए। अपूर्ण दावा बिल और ऑनलाइन मोड के माध्यम से उत्पन्न नहीं किया गया है, प्रतिपूर्ति के लिए विचार नहीं किया जाएगा।
- प्रतिपूर्ति के लिए प्रैक्टिकल ट्रेनिंग बोर्ड को दावा बिल अग्रेषित करते समय, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एनईएफटी के माध्यम से प्रतिपूर्ति को प्रभावित करने के लिए बोर्ड को पूरी तरह से भरने वाले ईसीएस जनादेश फॉर्म को केवल एक बार भर दिया जाए।
स्वास्थ्य, सुरक्षा और प्रशंसापत्रों का स्वागत:
जहां किसी भी प्रशिक्षु कारखाने में प्रशिक्षण ले रहे हैं, कारखानों अधिनियम, 1 9 48 के अध्याय III, IV और V के प्रावधान, शिक्षकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण के संबंध में लागू होंगे जैसे कि वे उस के अर्थ में श्रमिक थे अधिनियम और जब कोई प्रशिक्षु एक खान में प्रशिक्षण ले रहा है, तो खान अधिनियम, 1 9 52 के अध्याय वी के प्रावधान शिक्षकों की स्वास्थ्य और सुरक्षा के संबंध में लागू होंगे जैसे कि वे खान में नियोजित व्यक्ति थे।
काम, घंटे, छुट्टी और छुट्टियों के घंटे:
- एक कार्यस्थल में व्यावहारिक प्रशिक्षण के दौरान एक प्रशिक्षु के काम के साप्ताहिक और दैनिक घंटे नियोक्ता द्वारा निर्धारित अवधि के अनुसार प्रशिक्षण अवधि के अनुपालन के अधीन निर्धारित किया जाएगा, यदि निर्धारित है
- अपरेंटिसशिप सलाहकार की मंजूरी को छोड़कर किसी भी प्रशिक्षु को ओवरटाइम पर काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी या अनुमोदित नहीं किया जाएगा, जब तक कि वह संतुष्ट न हो कि इस तरह का ओवरटाइम प्रशिक्षु या सार्वजनिक हित में प्रशिक्षण के हित में है।
- एक प्रशिक्षु ऐसी छुट्टी और छुट्टियों के हकदार होगा जैसा कि वह उस प्रतिष्ठान में मनाया जाता है जिसमें वह प्रशिक्षण ले रहा है।
चोट के लिए मुआवजे के लिए कर्मचारी की ज़िम्मेदारी:
यदि व्यक्तिगत चोट एक शिक्षु के कारण होती है, तो प्रशिक्षु के रूप में अपने प्रशिक्षण के दौरान उत्पन्न होने वाली दुर्घटना से, उसके नियोक्ता मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे जो निर्धारित और भुगतान किया जाएगा, जहां तक हो, के अनुसार कार्यकर्ताओं के मुआवजे अधिनियम, 1 9 23 के प्रावधान, अनुसूची में निर्दिष्ट संशोधनों के अधीन।
कंडक्ट और अस्वीकरण:
आचरण और अनुशासन के सभी मामलों में, प्रशिक्षु उस प्रतिष्ठान में संबंधित श्रेणी के कर्मचारियों के लिए लागू नियमों और विनियमों द्वारा शासित होगा जिसमें प्रशिक्षु प्रशिक्षण से गुज़र रहा है।
स्वीकृति के अनुबंध की तैयारी का निर्धारण:
1.अगर अनुबंध के नियमों और शर्तों को पूरा करने के लिए नियोक्ता के हिस्से में अपरेंटिसशिप का अनुबंध समाप्त हो जाता है, तो वह प्रशिक्षु को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा, उसके तीनों के बराबर राशि का मुआवजा महीनों के आखिरी तैयार किए गए स्टिपेंड, और जब कहा गया है कि उपरोक्त तरीके से एक प्रशिक्षु भाग में विफलता की वजह से उसके तीन महीने के अंतिम तैयार किए गए अनुच्छेद के बराबर राशि की प्रशिक्षण लागत इस तरह के प्रशिक्षु से पुनर्प्राप्त करने योग्य होगी।
2.हालांकि, मुआवजे के भुगतान के बिना अपरेंटिसशिप का अनुबंध समाप्त किया जा सकता है;
- बशर्ते दोनों पार्टियां अनुबंध की पूर्व समाप्ति के लिए सहमत हों।
- बशर्ते शिक्षकों को नियमित रोजगार मिले, और
- बशर्ते प्रशिक्षु मेडिकल ग्राउंड पर शिक्षुता छोड़ दें। हालांकि, एक चिकित्सा प्रमाणपत्र आवश्यक होगा।
प्रोफेसर ऑफ सर्टिफिकेट ऑफिस:
प्रत्येक स्नातक तकनीशियन प्रशिक्षु, जो संबंधित क्षेत्रीय बोर्ड की संतुष्टि के लिए अपने प्रशिक्षु प्रशिक्षण को पूरा करता है उसे केंद्र सरकार की तरफ से उस बोर्ड द्वारा "प्रवीणता प्रमाण पत्र" दिया जाएगा।
उपर्युक्त उद्देश्य के लिए, 12 महीने के प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले प्रत्येक प्रशिक्षु को इस शर्त के अधीन ऑनलाइन / ऑफलाइन प्रवीणता प्रमाणपत्र / डाउनलोड करने का हकदार होगा कि उसका अंतिम तिमाही मूल्यांकन पूरा हो गया है और नियोक्ता द्वारा अपलोड / अग्रेषित किया गया है। हालांकि, नियोक्ता अपने स्वयं के प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र जारी कर सकता है।
लॉक-आउट / स्ट्राइक ईटीसी के कारण ट्रेनिंग की हानि का विनियमन
a) जहां स्नातक / तकनीशियन / तकनीकी (व्यावसायिक) प्रशिक्षु एक प्रतिष्ठान में स्ट्राइक / लॉक-आउट / ले-ऑफ़ के कारण अपरेंटिसशिप प्रशिक्षण की अवधि को पूरा करने में असमर्थ है, जहां वह प्रशिक्षण से गुजर रहा है और इसमें कोई महत्वपूर्ण नहीं है, अवधि उनके प्रशिक्षु प्रशिक्षण का स्ट्राइक / लॉक-आउट / ले-ऑफ की अवधि के बराबर बढ़ाया जाएगा और उन्हें इस तरह के स्ट्राइक / लॉक-आउट / ले-ऑफ की अवधि के दौरान या छह महीने की अधिकतम अवधि के दौरान भुगतान किया जाएगा कम है।
b)यदि स्ट्राइक / लॉक-आउट / ले-ऑफ लंबी अवधि के लिए जारी रहने की संभावना है, तो नियोक्ता अन्य नियोक्ता के साथ ऊपर 21 (ए) में निर्दिष्ट शिक्षकों के लिए अपरेंटिसशिप अनुबंध के नएकरण की प्रक्रिया का पालन करेगा। अधिनियम की धारा 5 में निर्दिष्ट है।
रिकॉर्ड लौटता है:
कर्मचारी द्वारा जमा किया जाना है
- प्रत्येक नियोक्ता निर्धारित किए जा सकने वाले फॉर्म में अपनी स्थापना में प्रशिक्षु प्रशिक्षण से गुजरने वाले प्रत्येक प्रशिक्षु के प्रशिक्षण की प्रगति के रिकॉर्ड बनाए रखेगा।
- जब तक एक पोर्टल-साइट केंद्र सरकार द्वारा विकसित नहीं की जाती है, तब तक प्रत्येक नियोक्ता ऐसी सूचनाओं को प्रस्तुत करेगा, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है, ऐसे अधिकारियों को निर्धारित किया जा सकता है।
- प्रत्येक नियोक्ता इस संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा विकसित पोर्टल साइट पर प्रशिक्षु प्रशिक्षण के संबंध में व्यापारवार आवश्यकता और शिक्षकों की भागीदारी भी प्रदान करेगा]।
अपरेंटिस द्वारा काम के रिकॉर्ड की रखरखाव:
प्रत्येक प्रशिक्षु को कार्यशाला या प्रयोगशाला नोट-बुक के रूप में प्रशिक्षु प्रशिक्षण से संबंधित उनके द्वारा किए गए कार्यों का दैनिक रिकॉर्ड बनाए रखना चाहिए।
बीमा के लिए मुआवजे के लिए कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी:
यदि व्यक्तिगत चोट एक प्रशिक्षु के रूप में अपने प्रशिक्षण के दौरान उत्पन्न होने वाले दुर्घटना से प्रशिक्षु के कारण होती है, तो नियोक्ता मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा जो निर्धारित और भुगतान किया जाएगा, जहां तक प्रावधानों के अनुसार हो सकता है कार्यकर्ताओं के मुआवजे अधिनियम, 1 9 23 (1 9 23 का 8) अनुसूची में निर्दिष्ट संशोधन के अधीन है।
प्रशिक्षु ही शिक्षु हैं:
किसी प्रतिष्ठान में शिक्षुता प्रशिक्षण प्राप्त करने वाला प्रत्येक प्रशिक्षु एक शिक्षु माना जाएगा और इस प्रकार श्रम से संबंधित कानून का कोई भी उपबंध ऐसे शिक्षु से संबंधित या उस पर लागू नहीं होगा।
सेक्शन 30 [ऑफ़लाइन पेंटाइटीज] प्रशंसा अधिनियम, 1 9 61 के तहत समय-समय पर संशोधित:
1)धारा 30 उपधारा (1) यदि कोई नियोक्ता उन प्रावधानों के तहत संलग्न करने के लिए प्रशिक्षुओं की संख्या से संबंधित इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो उन्हें विधिवत अधिकृत अधिकारी द्वारा लिखित में एक महीने का नोटिस दिया जाएगा इस तरह के उल्लंघन के कारणों की व्याख्या करने के लिए उचित सरकार द्वारा इस संबंध में।
2)धारा 30 उपधारा (1 ए) यदि नियोक्ता उपधारा (1) के तहत निर्दिष्ट अवधि के भीतर नोटिस का जवाब देने में विफल रहता है, या अधिकृत अधिकारी, उसे सुनवाई का अवसर देने के बाद, संतुष्ट नहीं है नियोक्ता द्वारा दिए गए कारणों से, वह पहले तीन महीनों के लिए शिक्षुता महीने की कमी के पांच सौ रुपये के साथ दंडनीय होगा और इसके बाद प्रति माह एक हजार रुपए प्रति माह भरे जाएंगे।
3)धारा 30 उपधारा (2) यदि कोई नियोक्ता या कोई अन्य व्यक्ति ए) किसी भी जानकारी या वापसी प्रस्तुत करने की आवश्यकता है-
- ऐसी जानकारी प्रस्तुत करने या वापसी करने के लिए उपेक्षा करने से इनकार करता है, या
- प्रस्तुत करता है या कारणों को प्रस्तुत किया जाता है जो किसी भी जानकारी या वापसी जो झूठी है और जिसे वह या तो जानता है या झूठ मानता है या सत्य होने पर विश्वास नहीं करता है, या
- जवाब देने से इंकार कर दिया, या उसके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले किसी भी जानकारी को प्राप्त करने के लिए आवश्यक किसी भी प्रश्न का झूठा जवाब देता है, या
बी) केंद्रीय या राज्य अपरेंटिसशिप सलाहकार के पद से नीचे नहीं, जैसा कि केन्द्रीय या राज्य अपरेंटिसशिप सलाहकार द्वारा इस ओर लिखित में अधिकृत किया जा सकता है, किसी भी अन्य व्यक्ति को बर्दाश्त करने के लिए मना कर दिया जाएगा या जानबूझकर उपेक्षा कर सकता है] इस अधिनियम के तहत या उसके तहत अधिकृत कोई प्रविष्टि, निरीक्षण, परीक्षा या पूछताछ करने के लिए उचित सुविधा
सी) अपरेंटिसशिप सलाहकार की मंजूरी के बिना ओवरटाइम पर काम करने के लिए एक प्रशिक्षु की आवश्यकता होती है, या
डी) किसी भी काम पर एक प्रशिक्षु को रोजगार देता है जो उसके प्रशिक्षण से जुड़ा नहीं है, या
ई) टुकड़े के काम के आधार पर एक प्रशिक्षु को भुगतान करता है, या
एफ) किसी भी आउटपुट बोनस या प्रोत्साहन योजना में भाग लेने के लिए एक प्रशिक्षु की आवश्यकता है,
जी) एक प्रशिक्षु के रूप में संलग्न व्यक्ति है जो इतने व्यस्त होने के लिए योग्य नहीं है, या
एच) शिक्षुता के अनुबंध के नियमों और शर्तों को पूरा करने में विफल रहता है,
वह हर घटना के लिए एक हज़ार रुपये के जुर्माना के साथ दंडनीय होगा
4)धारा 30 उपधारा (2-ए)
इस धारा के प्रावधान किसी भी प्रतिष्ठान या उद्योग पर लागू नहीं होंगे जो बीमार औद्योगिक कंपनियों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1985 (1) के तहत स्थापित औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड के अधीन है। 1986)।
5)धारा 31 [जुर्माना जहां कोई विशिष्ट जुर्माना नहीं दिया जाता है]
यदि कोई नियोक्ता या कोई अन्य व्यक्ति इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है जिसके लिए धारा 30 में कोई दंड नहीं दिया जाता है, तो वह जुर्माना के साथ दंडनीय होगा जो एक हजार से कम नहीं होगा रुपये लेकिन तीन हजार रुपये तक बढ़ा सकते हैं।
6)धारा 32 [कंपनियों द्वारा अपराध]
उपधारा (1)- अगर इस अधिनियम के तहत कोई अपराध करने वाला व्यक्ति एक कंपनी है, तो प्रत्येक व्यक्ति, जिस समय अपराध किया गया था, उसका प्रभारी था, और इसके लिए जिम्मेदार था, कंपनी के साथ-साथ कंपनी के कारोबार के आचरण के लिए कंपनी को अपराध के दोषी माना जाएगा और उसके अनुसार आगे बढ़ने और दंडित करने के लिए उत्तरदायी होगा;;
बशर्ते कि इस उपधारा में निहित कुछ भी इस अधिनियम में प्रदान की गई ऐसी सजा के लिए उत्तरदायी कोई भी व्यक्ति प्रस्तुत नहीं करेगा यदि वह साबित करता है कि अपराध उसके ज्ञान के बिना किया गया था या उसने इस तरह के अपराध के कमीशन को रोकने के लिए सभी उचित परिश्रम का उपयोग किया था।
उपधारा (2) – उपधारा (1) में निहित कुछ भी होने के बावजूद, जहां इस अधिनियम के तहत एक अपराध एक कंपनी द्वारा किया गया है और यह साबित हुआ है कि अपराध सहमति या सहमति के साथ किया गया है, या जिम्मेदार है किसी भी निदेशक, प्रबंधक, सचिव, या कंपनी के अन्य अधिकारी, ऐसे निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी के हिस्से पर किसी भी लापरवाही के लिए भी उस अपराध के दोषी माना जाएगा और इसके खिलाफ आगे बढ़ने के लिए उत्तरदायी होगा और तदनुसार दंडित
स्पष्टीकरण- इस खंड के प्रयोजनों के लिए-
(ए) "कंपनी" का मतलब एक बॉडी कॉर्पोरेट है और इसमें फर्म या व्यक्तियों का अन्य संगठन शामिल है; और
(बी) फर्म के संबंध में "निदेशक" का मतलब फर्म में एक भागीदार है।
शिक्षु अधिनियम के कार्यान्वयन में आई.सी.टी. का उपयोग
कौशल और ज्ञान किसी भी देश के लिए आर्थिक विकास और सामाजिक विकास की प्रेरक ताकतें हैं । कौशल के उच्च और बेहतर स्तर के साथ देशों के काम की दुनिया की चुनौतियों और अवसरों के लिए और अधिक प्रभावी ढंग से समायोजित करें । संभावित रूप से, कौशल विकास के लिए लक्षित समूह में पहली बार श्रम बाजार में प्रवेश करने वाले (12.8 मिलियन प्रतिवर्ष), संगठित क्षेत्र में नियोजित (26.0 मिलियन) और असंगठित क्षेत्रों (433.0 मिलियन) में कार्यरत लोगों सहित श्रम बाजार शामिल हैं। [2004-05] कौशल विकास कार्यक्रम की वर्तमान क्षमता 3.1 मिलियन है जिसके विरुद्ध भारत ने 2022 तक 500 मिलियन लोगों को कौशलीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है। चूंकि 15 से 59 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के अनुपात में लगातार वृद्धि हो रही है, इसलिए भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ मिल रहा है। उपयुक्त कौशल विकास प्रयासों के माध्यम से जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने से देश के भीतर समावेशन और उत्पादकता को प्राप्त करने का अवसर मिलेगा और वैश्विक कौशल की कमी को भी कम किया जा सकेगा । इस प्रकार बड़े पैमाने पर विकास एक आसन्न अनिवार्यता है ।
देश की विशाल आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए कौशल विकास पहल की कई बड़ी चुनौतियां हैं । भारत सरकार की राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना ऐसे लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक ऐसा मार्ग है जिसमें नए योग्य इंजीनियरों, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा धारकों और +2 व्यावसायिक प्रमाणपत्र धारकों को नौकरी के दौरान प्रशिक्षण देना शामिल है। यथा अपेक्षित सीमा तक विस्तार करने के लिए इस दिशा में केन्द्र, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों, नियोक्ताओं/उद्योगों, श्रमिक संघों, सिविल सोसाइटी संगठनों आदि जैसे सभी हितधारकों द्वारा संकेन्द्रित प्रयास किए जाने की तत्काल आवश्यकता है। इस प्रकार कौशल विकास की पहल के लिए क्षमता विस्तार और नविन दृष्टिकोण और सार्वजनिक निजी भागीदारी की अत्यधिक आवश्यकता है। भारत सरकार द्वारा कौशल विकास के विस्तार के लिए किए गए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं-
- एक सीमित अवधि में व्यापक रूप से प्रणाली की क्षमता बढ़ाने के लिए नवीन दृष्टिकोण का अनुकूलन।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए तंत्र का विकास।
- विशेष रूप से ग्रामीण, सीमावर्ती और पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों में सार्वजनिक प्रशिक्षण संस्थानों का विस्तार।
- मोबाइल प्रशिक्षण, दूरस्थ शिक्षा, ई-लर्निंग आदि का उपयोग करते हुए नवीन उपकरण मॉडलों का विकास।
- गांवों और ब्लॉक स्तर पर कौशल विकास को बढ़ावा देना, सहकारी समितियों और गैर सरकारी संगठनों सहित पंचायत, नगर पालिकाओं और अन्य स्थानीय निकायों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- मौजूदा 23,800/- स्थापनाओं (2.57 लाख शिक्षुओं के लिए) से 1 लाख (1 मिलियन शिक्षुओं के लिए) तक स्थापनाओं का विस्तार करना।
अब, हम कौशल विकास की क्षमता के निर्माण में नियोक्ताओं/प्रशिक्षण स्थापनाओं की भूमिका को समझ सकते हैं ताकि 2022 तक 500 मिलियन कुशल जनशक्ति के विकास के राष्ट्रीय लक्ष्य तक पहुंच सकें।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच् चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार कोलकाता, मुंबई, कानपुर चेन् नई में स्थित व् यावहारिक/प्रशिक्षुता प्रशिक्षण के चार क्षेत्रीय बोर्डों के माध् यम से एक पूल बनाने के उद्देश् य से प्रशिक्षु अधिनियम का कार्यान् वयन कर रहा है । इंजीनियरी स्नातकों, इंजीनियरी और प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा धारकों और +2 व्यावसायिक प्रमाणपत्र धारकों के लिए रोजगार प्रशिक्षण के माध्यम से देश में कुशल जनशक्ति की। सभी चार बोर्ड क्षेत्रीय आधार पर प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना कार्यान्वित कर रहे हैं।
तथापि, चार क्षेत्रीय बोर्ड हमेशा गैर-एकीकृत प्रक्रिया, सूचना साझा करने, रिपोर्टिंग, क्षेत्रीय आंकड़ों के एकीकरण, अपर्याप्त आपूर्त-मांग विश्लेषण आदि से होने वाली समस्याओं से पीड़ित रहे हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए और संपूर्ण योजना को एकजुट करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, भारत सरकार ने ई-गवर्नेंस के माध्यम से पारदर्शी प्रशासन हेतु हितधारकों के साथ निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल विकसित किया है। इन चार बोर्डों ने अंत में राष्ट्रीय वेब पोर्टल (www.mhrdnats.gov.in) का विकास किया है जिसमें अन्य हितधारक भी शामिल हैं। यह पोर्टल भारत के माननीय प्रधानमंत्री के विजन ' डिजिटल इंडिया' के अनुरूप है। इसका उद्देश्य भारत के तकनीकी युवाओं और अपने सभी हितधारकों को नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ डिजिटल रूप से सशक्त बनाना और समय पर सेवा प्रदान करना है।
राष्ट्रीय वेब पोर्टल का विकास चार बोर्ड को ध्यान में रखकर किया गया है:
- क्षेत्रीय बोर्डों के मौजूदा चार पोर्टलों का एकीकरण
- छात्रों, उद्योगों, संस्थानों एवं अन्य हितधारकों के उपयोगकर्ताओं के लिए अनुकूल पोर्टल
- मांग - आपूर्ति को पूर्ण करने वाला ऑटो स्किल
- क्षेत्रों के ऊर्ध्वाधर-क्षैतिज विकास के लिए क्षमता निर्माण प्रदान करना।
इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इस प्रकार की पहल का एक घटक समय-समय पर संशोधित हुए शिक्षु अधिनियम, 1961 के अंतर्गत भारतीय सरकार की संरचित राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना है।
ASSESSIBILITY OF THE NATIONAL PORTAL FOR DIFFERENT STAKE HOLDERS
1)छात्र:
सुविधाएं जहां पात्र इच्छुक उम्मीदवार वास्तविक समय आधार पर निर्बाध रूप से अपनी मांग को संसाधित करने के लिए न्यूनतम सूचना प्रदान करके पूरे विश्र्व में 24x7 नामांकन कर सकते हैं। अभ्यर्थी को एक बार पंजीकृत/नामांकित होने पर ई-मेल के साथ-साथ एस.एम.एस. के माध्यम से कॉल अलर्ट संदेश प्राप्त होगा, जिसमें उनकी पसंद के स्थापनाओं में शिक्षुओं के रूप में शामिल होने के संबंध में उनके पंजीकृत आवेदनों की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी। छात्र स्थापना की आवश्यकता के बारे में पता करने के लिए आते है और न्यूनतम संभव प्रतीक्षा समय में प्रशिक्षण में शामिल हो सकते हैं। [www.mhrdnats.gov.in/रजिस्टर] ।
2)स्थापानाएं:
भारत सरकार की शिक्षुता प्रशिक्षण योजना के प्रमुख हितधारकों में से एक स्थापना अर्थात उद्योग (नियोक्ता) हैं। राष्ट्रीय वेबपोर्टल का उद्देश्य शिक्षुओं की नियुक्ति के संबंध में वैधानिक दायित्वों को पूरा करने के लिए नियोक्ताओं के लिए ऑन लाइन सुविधा प्रदान करना है। नियोक्ता उम्मीदवार डाटा बेस का उपयोग कर सकते हैं और उम्मीदवारों का चयन सीधे तथा शिक्षुता संविदा फार्म, स्टाइपेन्डरी क्लेम बिल सहित सभी प्रपत्रों को भर कर प्रस्तुत कर सकते है जिससे समय, जनशक्ति और संसाधनों की बर्बादी में कमी होती है। प्रतिष्ठान स्वयं को www.mhrdnats.gov.in/REGISTER पर पंजीकृत कर सकते हैं। इसके माध्यम से वे क्षेत्रीय बोर्डों द्वारा शुरू की गई ग्रीन इनीसिएटीव में भी भाग ले सकते हैं।
3)संस्थान:
पात्र छात्रों वाले संस्थाओं के मध्य राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) का प्रचार-प्रसार करना महत्व पूर्ण कार्य है। प्रत्येक वर्ष छात्रों के अंतिम वर्ष के नए के परिणाम के प्रकाशित होने के बाद उत्तीर्ण पात्र छात्रों के सूचनाओं को डाटाबेस से प्राप्त करने के लिए, संस्थानों को एक साथ छात्रों की जानकारी संबंधी डेटाबेस को अपलोड करें। संस्थाएं स्वयं को www.mhrdnats.gov.in/REGISTER पर पंजीकृत कर सकती हैं।
धारा 8(1) के अंतर्गत सर्वेक्षण अधिसूचना)
क्षेत्रीय केन्द्रीय प्रशिक्षुता सलाहकार अथवा उनके नामिती अखिल भारतीय प्रचालन के इच्छुक ऐसी कम्पनियों प्रतिष्ठान निर्धारित फार्मेट (फॉर्म एफ-2) में विवरण की जानकारी ऑनलाइन/ऑफलाइन अग्रेषित करेंगे। प्रतिष्ठान निर्धारित फार्मेट (फॉर्म एफ-2) में विवरण की जानकारी ऑनलाइन/ऑफलाइन अग्रेषित करेंगे। सर्वेक्षण के बाद बोर्ड धारा 8 (1) के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए शिक्षु (संशोधन) अधिनियम, 2014 के अंतर्गत उद्योग को सूचना (ऑनलाइन/ऑफलाइन) द्वारा जिसमें वर्तमान/उत्तरवर्ती वर्षों में शिक्षुओं की नियुक्ति के लिए सृजित की जाने वाली प्रशिक्षण सीटों की संख्या को सूचित करेगा। इस नोटिस में अधिनियम की धारा 11 (क) के अंतर्गत नियोक्ता द्वारा प्रत्येक वर्ष नियोजित किए जाने वाले स्नातक डिप्लोमा धारक इंजीनियरों की कुल संख्या शामिल होगी।